महराजगंजः गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में फसलों की पराली न जलाने के फरमान से उत्पन्न समस्या से किसानों की अब जान पर बन आई है। किसान के सामने पराली कहां रखा जाए, इसकी भी समस्या खड़ी हो गई है। आखिरकार किसान कहां इकट्ठा करें अपने खतों की पराली क्या शासन प्रशासन को इसकी व्यवस्था करनी चाहिए सिवान में सभी खेतों तकरोड या चकमार्ग नही है, और जहां है, वह पराली से पटा पड़ा है। रोड और चकमार्ग का अस्तित्व समाप्त हो गया है। जिससे कृषि कार्य के उपयोग वाले उपकरण व वाहन किसानों के खेतों में पहुंचने में काफी असुविधा हो रही है। वही दूसरी तरफ किसान के उपर शासन प्रशासन के तुगलकी फरमान के कारण अधिभार बढ़ता जा रहा हैकिसानों की आर्थिक और शारीरिक हालत बद से बदतर होती जा रही हैयह नही समझ में आ रहा है, कि आखिर किसान अपनी फरियाद लेकर कहाँ जाए, जहाँ उनको उनकी परेशानियों से निजात मिल सके। सरकार न्यायपालिका के सझाव पर भी अमल नही कर रहीं हैं। जिससे उनका आर्थिक सुधार संभव हो सके। आठ दस मजदूर दो दिन अथक परिश्रम के बाद एक एकड़ खेत की पराली को इकट्ठा कर पा रहे हैं। लेकिन बात यही खत्म नही होती है, दरसल समस्या तो यह है, कि किसान इन पराली को कहाँ रखे? फिलहाल इस प्रश्न का उत्तर किसी के पास मिलता दिखाई नहीं दे रहा है। वही फसलों की बोआई का समय भी धीरे धीरे खत्म हो रहा है जिसके कारण किसान काफी चिंतित हैं। देश का अन्नदाता दयनीय जीवन जीने और घुट घुट कर मरने के लिए मजबूर है।
सरकारी फरमान के आगे मरता मजबूर किसान